मैं सब की नज़रे बचाकर छुपाकर देखता हूं
तेरे व्हाट्सअप डीपी को कई बार देखता हूं ।
तुम्हारे साथ वाली उस पुरानी ग्रुप फ़ोटो को
ज़ूम करके मोबाईल को घुमाकर देखता हूं।
फेसबुक प्रोफ़ाइल लॉक है जानता हूं मगर
तेरा नाम लिख सर्च बटन दबाकर देखता हूं।
यूं तो सालों से तुम्हारा कोई कॉल नहीं आया
मैं मिस्ड कॉल में तेरा नाम जाकर देखता हूं ।
कभी कभी तो मैं इतना बेचैन हो जाता हूं कि
सोचता हूं सारे गिले शिकवे मिटाकर देखता हूं।
जब कभी बात मेरे बरदाश के बाहर होने लगी
तब ये सोचा कि अब फ़ोन लगाकर देखता हूं।
मिल जाओगी कहीं अचानक ही जब कभी भी
सोचा यह भी कि तुम्हें गले से लगाकर देखता हूं।
ठीक है मेरी भी गलती थी तो सह लूंगा थोड़ा सा
सोचा तुम्हारे हांथ के दो थप्पड़ खाकर देखता हूं ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
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