जुदा सबसे मेरे यार के अंदाज़ हैं
नए नए परिंदों के नए परवाज हैं ।
तुफानों से बचकर निकले थे जो
साहिल पे डूबे ऐसे कई जहाज हैं ।
अभी चुप ही रहो कुछ भी ना कहो
कि बड़े गरम अभी उनके मिजाज़ हैं ।
सुन सको तो कभी सुनना ध्यान से
चुप्पियों से भरी कितनी ही आवाज़ हैं ।
मैंने कहा कि प्यार है तुमसे बेइंतहां
बस इतनी सी बात पर हुज़ूर नाराज़ हैं।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
बहुत सुंदर पंक्तियाँ।
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