Sunday, 14 May 2023

आ गया खयाल तेरा नींद उड़ गई

 आ गया खयाल तेरा नींद उड़ गई

तेरी हर बात से बात मेरी जुड़ गई  ।


जो पसंद है तुम्हें मैंने वही बात की

फिर बात बात पर तुम कैसे लड़ गई ।


मैंने चाहा था तुम्हें ये अलग बात है 

बात ही बात में बात फिर बिगड़ गई  ।


मैं अकेला हो गया दूर तुम चली गई

मेरी आवाज़ पर जाने क्यों चिढ़ गई  ।


सालों बाद फिर मिले अनमने से लगे

हमारे बीच में कहीं कोई गांठ पड़ गई  ।


जब लिपट के दोनों ही रोए ज़ार ज़ार 

आंखों ही आंखों में आंख फिर गड़ गई  ।


आंसुओं से धुल गया जो भी मलाल था 

रुकी - रुकी प्यार की बात फिर बढ़ गई  ।


डॉ मनीष कुमार मिश्रा
कल्याण पश्चिम
महाराष्ट्र

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