खेल तो सारा मुकद्दर का होगा
डूबता जहाज बवंडर का होगा ।
ईमान से लड़ेंगे पोरस कई पर
इतिहास में बड़ा सिकंदर होगा ।
वही तो रहेगा हर हाल में खुश
जो खयाल से मस्त कलंदर होगा ।
अपने दिल में थोड़ी जगह दे दो
अब वहीं पर इश्क का लंगर होगा ।
तरसता रहा मीठे पानी के लिए
जिसके आगे खारा समंदर होगा ।
गैरत थी तो अकेले ही रह गया
तेरे इशारों पर नाचता बंदर होगा ।
योग्यताएं इंतज़ार में ही रहेंगी
सिफारिश वाला कोई अंदर होगा ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
कल्याण पश्चिम
महाराष्ट्र ।
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