कोहरे में छनकर धूप उतर आई है
कागजों में खेतों तक नहर आई है।
इस पूरे दिन का इंतजार पूरा हुआ
शाम वो खिड़की में नज़र आई है।
समंदर सा बड़ा दिल होना चाहिए
मेरे पैर धोने उसकी लहर आई है।
बारिश की बूंदों से खेलती लड़की
सुना कल ही गांव से शहर आई है।
दिल्ली होकर जो चल रही है हवा
सांसों के लिए लेकर ज़हर आई है।
Dr Manish Kumar Mishra
Kalyan
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..