कल रात ख़्वाब में तुझसे मिलना हुआ
सितारों ने चादर समेटी सब सपना हुआ ।
मेरे कमरे से तेरी भीनी खुशबू आ रही है
कल तुझसे कितना कहना - सुनना हुआ ।
अगर तुम सच में जो मिलने आओ कभी
यह ख़्वाब का हकीकत में बदलना हुआ ।
बस एक नज़र भर के जो देखा तुझे तो
मेरे अंदर कई अरमानों का मचलना हुआ ।
राह चिकनी थी बड़ी सो संभल नहीं पाए
फिर क्या कि इश्क में बस फिसलना हुआ ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
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