Friday, 5 May 2023

अभी चुप भी रहो ।

 











जुदा सबसे मेरे यार के अंदाज़ हैं 

नए नए परिंदों के नए परवाज हैं ।


तुफानों से बचकर निकले थे जो

साहिल पे डूबे ऐसे कई जहाज हैं ।


अभी चुप ही रहो कुछ भी ना कहो

कि बड़े गरम अभी उनके मिजाज़ हैं ।


सुन सको तो कभी सुनना ध्यान से 

चुप्पियों से भरी कितनी ही आवाज़ हैं । 


मैंने कहा कि प्यार है तुमसे बेइंतहां

बस इतनी सी बात पर हुज़ूर नाराज़ हैं।

              डॉ मनीष कुमार मिश्रा 


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