Friday, 12 May 2023

अफ़वाहें सच हैं शक के काबिल हूं

 अफ़वाहें सच हैं शक के काबिल हूं

सच आ जाता है जुबां पर जाहिल हूं ।


सब अपने घरों के रंगीन पर्दों में कैद 

मैं दुनियां जहान के दर्द में गाफिल हूं ।


यकीनन अभी कई आगाज़ बाकी हैं

ज़रा थके इरादों को लेकर बोझिल हूं ।


विरोध की जितनी भी संभावनाएं बनें

लिखो मेरा नाम मैं सभी में शामिल हूं ।


जितना मिटता उतना ही सुकून आया

मैं अपनी ही आहुतियों का हासिल हूं ।


डॉ मनीष कुमार मिश्रा

के एम अग्रवाल महाविद्यालय

कल्याण पश्चिम

महाराष्ट्र ।

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