वो हँसी शाम फिर न आएगी ;
वो चहकते दिन तू कैसे भुलाएगी ?
सदियाँ लगी थी दिल को करीब लाने में ;
एक पल में उसे कैसे भुलाएगी ?
वो नजरों से नजरें मिलाना याद है ;
तेरा यूँ ही चिडाना याद है ;
मेरे हाथों में तेरा हाथ याद है ;
तेरा शरमा के मुस्कराना याद है ;
आवाजों की खनक ,
सांसों की महक ;
तुझे बस यूँ ही देखना ;
अदा से तेरा अधखुली पलकों का खोलना ;
तेरा दौड़ कर सिने से लगना याद है ;
सांसों का सांसों से महकना याद है ;
आज भी तेरा डोली से जाना याद है ;
कितनी तड़प ,जब्त करते आंसू ,
औ मुस्कराना याद है ;
कितना अकेलापन माहौल की सनसनाहट ,
औ एक कोने में ख़ुद से आंसू छुपाना याद है ;
कितने ही जख्म खाए जिंदगी की राहों में ,
पर कोई गम न था ;
उन जख्मों को बहुतों ने कुरेदा ,
पर दर्द न था ;
लोंगों का खिल्ली उडाना याद है ;
मेरा आखें चुराना याद है ;
आखों के बहते आंसू औ मुस्कराना याद है ;
शिकवा किस की ,
गिला किसका ;
जिंदगी की मेहरबानियों पे तड़पना याद है ;
bhuke पेट दिन है गुजरे ,
खाली पेट रातें ;
जिंदगी याद है मुझे तेरी हर सौगातें ;
अपनो से अपनी हालत पे दबना याद है ;
चंद दिनों की खुशियाँ देकर ,
तेरा बरसों तडपाना याद है ;
जिंदगी तेरी मेहरबानियाँ याद है ;
अपनो की भीड़ में सालों गुजारी तनहाईयाँ याद है /
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