Sunday, 21 June 2009

जिंदगी की मेहरबानियाँ याद हैं /

वो हँसी शाम फिर न आएगी ;

वो चहकते दिन तू कैसे भुलाएगी ?

सदियाँ लगी थी दिल को करीब लाने में ;

एक पल में उसे कैसे भुलाएगी ?

वो नजरों से नजरें मिलाना याद है ;

तेरा यूँ ही चिडाना याद है ;

मेरे हाथों में तेरा हाथ याद है ;

तेरा शरमा के मुस्कराना याद है ;

आवाजों की खनक ,

सांसों की महक ;

तुझे बस यूँ ही देखना ;

अदा से तेरा अधखुली पलकों का खोलना ;

तेरा दौड़ कर सिने से लगना याद है ;

सांसों का सांसों से महकना याद है ;

आज भी तेरा डोली से जाना याद है ;

कितनी तड़प ,जब्त करते आंसू ,

औ मुस्कराना याद है ;

कितना अकेलापन माहौल की सनसनाहट ,

औ एक कोने में ख़ुद से आंसू छुपाना याद है ;

कितने ही जख्म खाए जिंदगी की राहों में ,

पर कोई गम न था ;

उन जख्मों को बहुतों ने कुरेदा ,

पर दर्द न था ;

लोंगों का खिल्ली उडाना याद है ;

मेरा आखें चुराना याद है ;

आखों के बहते आंसू औ मुस्कराना याद है ;

शिकवा किस की ,

गिला किसका ;

जिंदगी की मेहरबानियों पे तड़पना याद है ;

bhuke पेट दिन है गुजरे ,

खाली पेट रातें ;

जिंदगी याद है मुझे तेरी हर सौगातें ;

अपनो से अपनी हालत पे दबना याद है ;

चंद दिनों की खुशियाँ देकर ,

तेरा बरसों तडपाना याद है ;

जिंदगी तेरी मेहरबानियाँ याद है ;

अपनो की भीड़ में सालों गुजारी तनहाईयाँ याद है /

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...