अंत हूँ ,अनन्त हूँ ;
आकर्षण हूँ , आमंत्रण हूँ ;
जो तू वश में ना कर सकी ,
वो तेरा अत्यंतर हूँ /
अरस्तु हूँ , अगस्त्य हूँ ;
अनुगामी हूँ , अभ्यस्त हूँ ;
जो तू ना पढ़ सकी ;
वो तेरा ही अर्थ हूँ /
अमूर्त हूँ , अभिभूत हूँ ;
अविरक्त हूँ , अभिव्यक्ति हूँ ;
जिसे ना तू जीत सकी ,
वो तेरी आशक्ति हूँ /
आगाज हूँ , आवाज हूँ ;
आस हूँ , अनायास हूँ ;
जिसे ना तू मिटा सकी ;
वो तेरा अहसास हूँ /
अभिज्ञान हूँ , अभिमान हूँ ;
आकार हूँ , अविकार हूँ ;
जो तू न संभाल सकी ,
वो तेरा अधिकार हूँ /
अमान्य हूँ , अवमान्य हूँ ;
अरीती हूँ , अप्रिती हूँ ;
जो स्वीकार ना कर सकी ,
वो तेरा अतीत हूँ /
शानदार कविता.............
ReplyDelete