Monday, 15 June 2009

तुम आओगे शहर में , मै न होऊँगा /

तुम आओगे शहर में ,
मैं ना होऊँगा ;
न उलझन तुम्हें होगी ,
ना मै रोऊँगा /
कुछ यादें टटोलेंगी,
कुछ पल कचोटेंगे ;
अपनो का साथ होगा ,
हँसी का कारोबार होगा ;
न होगी झिझक मन में ,
जब मै ना होऊँगा ;
खुशियों से भरी सुबहें होंगी ,
भावों से खिली रात ;
न होगी टीस मन में ,
ना होगी इच्छाओं की आस ;
न मचलेंगे सपने तेरे ,
ना बडेगी मेरी प्यास ;
तुम आओगे शहर में ,
मैं ना होऊँगा ;
न उलझन तुम्हें होगी ,
ना मै रोऊँगा /

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...