अब आ भी जाओ ;
चाँदनी रात में तेरे चेहरे के नूर को तरसी हैं आखें ;
सुहानी शाम में तेरी चहकती आवाज को ,
उड़ते गेशुओं से आनंदित प्यास को ,
अपनो की भीड़ में निगाहों से निगाहों के मिलाने के अंदाज को ,तरसी है निगाहें ;
अब आ भी जावो ;
सरदी की सुबहों में तेरे बदन को आगोश में भरने को ,
तेरी महकती सांसों से सांसों को बहकने को ,
तन की सरगोशियाँ बढाते तन को ,
बहकती हुयी प्यास को बढाते बेकाबू हाथ को तरशी हैं बाहें ;
अब आ भी जावो /
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