Saturday, 13 May 2023

नफरतों का कोई मुस्तकबिल नहीं होता

 नफरतों का कोई मुस्तकबिल नहीं होता 

मोहब्बतों का कोई मुकाबिल नहीं होता ।


जब तक मिल बैठ सलीके से बात न हो

हल कोई भी संजीदा मसाइल नहीं होता ।


रंजिशों का रंज अगर मोहब्बतें मिटा देती

तो उजाड़ मकानों में अबाबिल नहीं होता ।


छोड़कर जानेवाले इतना तुम याद रखना

हर कोई हमारी तरह जिंदादिल नहीं होता ।


यारों का साथ और संगदिली बड़ी चीज़ है 

सब के नसीब शौक ए महफ़िल नहीं होता ।


कुछ रास्तों पर ये पांव ख़ुद ही रुक जाते हैं 

जब कि वहां कोई भी सलासिल नहीं होता ।


जो मौसमी नालों की तरह बहते बह जाते हैं

उनके नसीब में तो लब ए साहिल नहीं होता ।


डॉ मनीष कुमार मिश्रा
हिंदी व्याख्याता
के एम अग्रवाल महाविद्यालय
कल्याण पश्चिम
महाराष्ट्र ।

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