Wednesday, 3 May 2023

तुम्हें शायद याद हो

 02. तुम्हें शायद याद हो ।


  तुम्हें शायद याद हो 

  नवंबर की वो मुलाकातें

  न खत्म होने वाली बातें 

  मेरे आग्रह पर

  तुम्हारे मीठे गीत 

   पुरानी बातों पर

   तुम्हारा रूठना

   मेरा मानना 

   तुम्हारे आसूं, तुम्हारी मुस्कान 

   उन सर्दियों में

   मेरी कशिश

   तुम्हारी तपिश 

   और ढेर सारे अचार के साथ

   तुम्हारे पसंदीदा 

   वो आलू के पराठे 

   तुम्हारी जानलेवा 

   नमकीन मुस्कान के साथ।

        डॉ मनीष कुमार मिश्रा 



 


  


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