ज़रूरी नहीं कि सितम करके देखो
करम करके देखो रहम करके देखो ।
सामने मेरी अर्जी बाकी तेरी मर्जी है
शगुन करके देखो सनम करके देखो ।
फिसलते हो क्यों हर एक डगर पर
चलिए संभलकर जतन करके देखो ।
सताया है हमको मोहब्बत में कितना
दिल की सुनो कुछ शरम करके देखो ।
सारी की सारी बीती हुई बातें पुरानी
खतम करके देखो दहन करके देखो ।
है कितनी मोहब्बत ये कैसे दिखाऊं
हो तराज़ू कोई तो वजन करके देखो ।
सब हो अपने मन का मुमकिन नहीं
सहन करके देखो नमन करके देखो ।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
कल्याण
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..