ना कोई गम है , ना हालात मुझपे हावी हैं ;
ना मिला जो साथ , ना उसकी याद मुझपे भारी है ;
पतझड़ के मौसम में हरियाली के सपने क्यूँ देखें ?
कितनी भी नफ़रत जमाना चाहे फैलाये ;
दुरी कितनी भी वक्त साथ ले आए ;
अपनी मोहब्बत से शिकायत कैसी ;
मेरा प्यार हर हालात पे भारी है /
अपनी मोहब्बत से शिकायत कैसी ;
ReplyDeleteमेरा प्यार हर हालात पे भारी है /...etna sunder or sahi kaha hai mere pass sach me shabad nahi ki kya kahu.....