अभी तो सपना सजाया है ;
अभी ही तुने रुलाया है ;
अभी तो आखें चमकी , अभी तो सांसे बहकी ;
अभी ही अँधेरा छाया, अभी ही तेरे घर से निकला कोई साया ;
अभी तो तु खुल के खिलखिलाया है ,
अभी ही तुने मेरा सपना बिखराया है ;
कदम की लडखडाहट,
तेरे जाने की आहट;
गलें की तल्खियाँ मिटाने दे ;
भावनावों को सिमट जाने दे /
अभी तो सपना सजाया है ;
अभी ही तुने रुलाया है ;
Monday, 18 May 2009
अभी तो सपना सजाया है ;
Labels:
हिन्दी कविता hindi poetry

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