पूर्वग्रह त्रैमासिक पत्रिका की पहचान एक गंभीर सृजनात्मक विमर्श की पत्रिका के रूप मे रही है । भाषा-शिल्प के आभिजात्य पर पत्रिका का आग्रह नही है । यह पत्रिका हर तरह के प्रवाद से बचती रही है । इधर काफ़ी दिनों तक इसका प्रकाशन बंद हो गया था । लेकिन आप लोगो को बताते हुए खुशी हो रही है की इसका १२४ अंक आ गया है ।
प्रभाकर शोत्रिय जी के सम्पादन मे यह भारतीय भवन ,भोपाल से निकल रही है ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
अमरकांत की कहानी -जिन्दगी और जोक : 'जिंदगी और जोक` रजुआ नाम एक भिखमंगे व्यक्ति की कहानी है। जिसे लेखक ने मुहल्ले में आते-ज...
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..