Friday, 15 May 2009

पपीहे की तरह चाँद ताकता मै रहा ,

पपीहे की तरह चाँद ताकता मै रहा ,
अँधेरी गुफा में आसमान ताकता मै रहा /
नखलिस्तान की ओर तेजी से मै दौड़ा ,
मृगतृष्णा थी ,पानी तलाशता मै रहा /

लोग कहते हैं ,उसकी आखों में समुंदर सी गहराई है ;
मै समुन्दर में दिल का रास्ता तलाशता रह गया /
बाँहों में फिर भी भर लेता उसको ऐ यारों ;
मै सामने खड़े बुत में ,जीवन का स्पंदन तलाशता रह गया /

1 comment:

  1. bahut hi badhiya likha hai.....kuch talash aisi hi hoti hain.

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