1. **आधुनिक भारतीय भाषाएँ (Modern Indian Languages)
भारत में संविधान द्वारा 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है जिन्हें 'आधुनिक भारतीय भाषाएँ' कहा जाता है। इनमें प्रमुख हैं — हिंदी, बांग्ला, मराठी, तमिल, तेलुगु, गुजराती, उर्दू, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, ओड़िया, असमिया आदि। ये भाषाएँ न केवल सांस्कृतिक विविधता की परिचायक हैं, बल्कि इनमें साहित्यिक रूप से भी गहन रचनाएँ हुई हैं।
2. आधुनिकता का आगमन (Coming of Modernity)
भारतीय भाषाओं में आधुनिकता का प्रवेश मुख्यतः 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ, जब अंग्रेज़ी शिक्षा, प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकारिता और समाज सुधार आंदोलनों ने साहित्यिक सोच को नया आयाम दिया।
जैसे—
- बंगाल पुनर्जागरण (Bengal Renaissance) के प्रभाव से बांग्ला साहित्य में रवीन्द्रनाथ ठाकुर, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जैसे रचनाकार सामने आए।
- हिंदी में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने ‘भारतेंदु युग’ की शुरुआत कर आधुनिक हिंदी साहित्य का बीज बोया।
3. **महत्वपूर्ण साहित्यिक आंदोलन (Major Literary Movements)
i) प्रारंभिक नवजागरण (Early Renaissance)
इस काल में साहित्य सामाजिक सुधार, राष्ट्रवाद, औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ जागरूकता और आधुनिक विचारधाराओं के इर्द-गिर्द घूमता रहा। उर्दू में सर सय्यद अहमद खां ने आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा दिया।
ii) **छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद (Hindi Literary Movements)
- छायावाद: हिंदी में जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा ने व्यक्ति और प्रकृति के सौंदर्य का गान किया।
- प्रगतिवाद: प्रेमचंद, सियारामशरण गुप्त, नागार्जुन जैसे लेखकों ने समाजवाद, गरीबी, शोषण के मुद्दों को उठाया।
- नवजागरण के समानांतर दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी आधुनिकता के स्वर प्रमुख हुए।
iii) दलित और स्त्री लेखन
20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दलित साहित्य और स्त्री विमर्श ने भाषा और साहित्य के परंपरागत ढांचे को चुनौती दी। मराठी में बाबासाहेब आंबेडकर के प्रभाव से दलित लेखकों का साहित्य उभरा; हिंदी में उषा प्रियंवदा, कृष्णा सोबती जैसी लेखिकाओं ने स्त्री अनुभवों को स्वर दिया।
4. भाषाओं के बीच संवाद (Inter-linguistic Exchange)
अनुवाद के माध्यम से भारतीय भाषाओं का परस्पर साहित्यिक आदान-प्रदान भी एक विशेष पहलू है। हिंदी, बांग्ला, तमिल, मलयालम आदि में कई कृतियाँ अन्य भाषाओं में अनूदित हुईं, जिससे एक अखिल भारतीय साहित्यिक चेतना का निर्माण हुआ।
5. आधुनिक भारतीय साहित्य की विशेषताएँ
- सामाजिक यथार्थ का चित्रण
- उपनिवेशवाद, राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता संग्राम की झलक
- आधुनिकता और परंपरा के बीच द्वंद्व
- व्यक्ति की मानसिक अवस्था, अस्मिता, शोषण के प्रश्न
- शहरीकरण और ग्रामीण जीवन का द्वंद्व
निष्कर्ष (Conclusion)
आधुनिक भारतीय भाषाएँ और उनका साहित्य न केवल भारत के ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का दर्पण हैं, बल्कि विविधताओं के बावजूद एक साझा मानवीय दृष्टि प्रस्तुत करते हैं। यह साहित्य एक पुल है, जो भारत के अलग-अलग क्षेत्रों, जातियों, वर्गों, भाषाओं और विचारों को जोड़ता है।
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