मराठी भाषा का इतिहास
मराठी भाषा भारत की प्रमुख भाषाओं में से एक है, जो मुख्यतः महाराष्ट्र राज्य और उसके आसपास के क्षेत्रों में बोली जाती है। इसका इतिहास बहुत प्राचीन और समृद्ध है, जो संस्कृत और प्राकृत भाषाओं से निकला है। आइए मराठी भाषा के इतिहास को विस्तार से समझते हैं:
1. मूल और उत्पत्ति
मराठी भाषा इंडो-आर्यन भाषाओं के परिवार की सदस्य है। इसकी जड़ें प्राचीन महाराष्ट्र प्राकृत में मानी जाती हैं, जो लगभग 3वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास बोली जाती थी। यह महाराष्ट्र प्राकृत, संस्कृत से प्रभावित होकर विकसित हुई। आगे चलकर, 6वीं से 8वीं शताब्दी के बीच अपभ्रंश से होते हुए मराठी का प्राकट्य हुआ।
2. प्राचीन मराठी साहित्य (8वीं-13वीं शताब्दी)
मराठी भाषा में लिखे गए सबसे पुराने अभिलेख 11वीं शताब्दी के मिलते हैं। **रट्टा वंश**, **यादव वंश** और अन्य राजाओं ने मराठी का प्रयोग प्रशासन और शिलालेखों में किया। 13वीं शताब्दी में मराठी को साहित्यिक भाषा के रूप में पहचान दिलाने का कार्य **ज्ञानेश्वर (संत ज्ञानेश्वर)** ने किया। उनकी काव्यकृति **"ज्ञानेश्वरी"**, जो भगवद्गीता का मराठी में भाष्य है, मराठी साहित्य का एक स्तंभ है।
### 3. **भक्तिकाल (13वीं-17वीं शताब्दी)**
इस काल में संत कवियों जैसे:
- **संत नामदेव**
- **संत एकनाथ**
- **संत तुकाराम**
ने मराठी को जन-जन की भाषा बना दिया। उनके अभंग, ओवी और भावपूर्ण भजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भाषा की सरलता और मधुरता के कारण आज भी लोकप्रचलित हैं।
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### 4. **मुगल और मराठा काल (17वीं-18वीं शताब्दी)**
**छत्रपति शिवाजी महाराज** के शासनकाल में मराठी भाषा को राज्य की प्रशासनिक भाषा के रूप में महत्व मिला। उनकी राजकीय भाषा में मराठी और फारसी दोनों का सम्मिलन था। इस काल में **राज्यव्यवहार कोष** जैसे ग्रंथ रचे गए, जो मराठी प्रशासनिक लेखन का उदाहरण हैं।
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### 5. **ब्रिटिश काल और आधुनिक मराठी (19वीं-20वीं शताब्दी)**
ब्रिटिश काल में मुद्रणालयों के आगमन के साथ मराठी पत्रकारिता और साहित्य ने एक नया रूप लिया। 19वीं शताब्दी में:
- **बालशास्त्री जांभेकर** ने पहली मराठी पत्रिका "दर्पण" निकाली।
- **लोकहितवादी**, **ज्योतिबा फुले**, और **बाल गंगाधर तिलक** ने सामाजिक सुधार और स्वाधीनता के लिए मराठी में लेखन किया।
इस काल में उपन्यास, नाटक और काव्य का भी विकास हुआ। **वि.स. खांडेकर**, **पु. ल. देशपांडे**, **वी.वि. शिरवाडकर (कुसुमाग्रज)** जैसे लेखकों ने मराठी साहित्य को समृद्ध किया।
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### 6. **वर्तमान युग (21वीं शताब्दी)**
आज मराठी भाषा न केवल महाराष्ट्र में, बल्कि पूरे भारत और विदेशों में भी बोली और पढ़ी जाती है। आधुनिक मराठी साहित्य, फिल्में, नाटक, टेलीविजन और डिजिटल मीडिया के माध्यम से मराठी की पहुंच वैश्विक स्तर पर हो गई है। **मराठी विश्व साहित्य संमेलन** जैसे आयोजन इसके सांस्कृतिक महत्व को और भी बढ़ाते हैं।
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### **महत्व और विशेषताएँ:**
- **शब्दकोश में समृद्धि:** संस्कृत, फारसी, अरबी, कन्नड़ और हिंदी से शब्द ग्रहण कर मराठी ने अपने शब्दकोश को समृद्ध बनाया।
- **लिपि:** मराठी भाषा **देवनागरी लिपि** में लिखी जाती है, जिसमें 12 स्वर और 36 व्यंजन होते हैं।
- **विविधता:** कोकणी, वऱ्हाडी, पुणेरी, माळवणी आदि मराठी के विभिन्न क्षेत्रीय उपभाषाएँ हैं।
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### **निष्कर्ष:**
मराठी भाषा का इतिहास भारत की सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक आंदोलनों और साहित्यिक परंपराओं का दर्पण है। यह भाषा न केवल महाराष्ट्र के लोगों की पहचान है, बल्कि भारतीय भाषाओं के महासागर में एक चमकता मोती भी है।
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