Sunday, 1 August 2010

ठहरा हुआ जों वक़्त हो उससे निकल चलो

ठहरा हुआ जों वक़्त हो उससे निकल चलो
गम की उदासियों से हंस कर निपट  चलो


गमनीन जिंदगानी को खो कर निखर चलो
कठिनाई के दौर से डटकर निपट चलो


बिखर रहा हो लम्हा यादों में किसी के
सजों कर कुछ पल दिल से निकल चलो


जिंदगी गुजर रही जों उसकी तलाश में
जी भर के तड़प के मुस्कराते निकल चलो




1 comment:

  1. जों गुजर गया वो भुत है अब नया मेरा मीत है
    भविष्य नया तलाश कर यादों का कभी ना साथ कर
    सीख दे गयी वो बात तो पते की थी
    कैसे बदलता दिल मेरा वो मेरे धड़कन में थी
    very nice lines...i lyk it

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