Sunday, 1 August 2010

क्या आप कभी मेरी मोहब्बत के पात्र रहे हैं

क्या आप कभी मेरी मोहब्बत के पात्र रहे हैं
क्या आप कई वर्ष मेरे आस पास रहे हैं

क्या आपने मेरी आखों में समुन्दर तलाशा था
क्या आपने मेरी जुल्फों में निशा के मंजर को ढाला था

क्या आपने चूमा था मेरा ललाट अधिकार से कभी 
क्या आपने सींचा था मुझे अपने प्यार से कभी 

क्या आपके ओठों ने मेरे लबों की लाली बडाई थी 
क्या मेरे उफनते सीने को अपने आलिगन में समायी थी 

क्या मेरी रातें तेरी बाँहों में महकी थी 
क्या तुम हो वही जिसकी आगोश में मेरी सुबहें बहकी थी 

जाने दो गुजरे वक़्त को अब याद क्या करना 
जाने दो तुम्हे पहचान के अब अहसान क्या करना 

जों गुजर गया वो भुत है अब नया मेरा मीत है 
भविष्य नया तलाश कर यादों का कभी ना साथ कर 
सीख दे गयी वो बात तो पते की थी 
कैसे बदलता दिल मेरा वो मेरे धड़कन में थी  


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