Friday, 27 August 2010

बंद आखों से तुझे देख लेता हूँ

बंद आखों से तुझे देख लेता हूँ
सोचों में तुझ संग बड़ा दिलफेंक होता हूँ
सपने सजाते है तेरी मुलाकातों से
ख्वाब रंगीन होते हैं बहके इरादों से


नीद जब खुलती खुद की बाँहों में होता हूँ
रात जब सोता तुझे निगाहों में रखता हूँ
तेरी चाहत है मेरी धड़कन तू है मेरे कण कण में
मेरा हर वक़्त गुजरता तेरी यादों की चिलमन में
तेरी मोहब्बत को दिया खुदायी का दर्जा
क्या हुआ मिले हुए हुआ एक अरसा 
आवाज तेरी भर देती उमंग हर अंग में 
बड़ा सुखकर था वो पल जों बिता तेरे संग में 
मुक़द्दस हो जाता है मुकद्दर जब तू पास होती है 
वक़्त ठहर जाता है जब तू साथ होती है  

बंद आखों से तुझे देख लेता हूँ

सोचों में तुझ संग बड़ा दिलफेंक होता हूँ
सपने सजाते है तेरी मुलाकातों से
ख्वाब रंगीन होते हैं बहके इरादों से


No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..