ओमप्रकाश पांडे `नमन `की यह तीसरी कृति है /कवी एवं संम्पादक श्री अलोक भट्टाचार्य ने अपनी भूमिका में लिखा है``नमन की गजलें यदि कवी के कोमल मन को सहलाती हैं ,तो युगधर्म का निर्वहन भी करती हैं / ``
इसी कविता संग्रह की एक कविता प्रस्तुत है /
रात बेहद उदास थी उस दिन मौत के आसपास थी उस दिन /
देख कर क़त्ल अपने बच्चों का बूढी माँ बदहवास थी उस दिन /
शहर के सारे मकान खाली थे भीड़ सड़कों के पास थी उस दिन /
बंद द्वार थे मंदिर मस्जिदों के शमशानों पर बारात थी उस दिन/
कौम की खातिर हुए दंगों में कौम बेबस लाचार थी उस दिन / -------------------------------------------------------------------
ओमप्रकाश पांडे `नमन` के व्यक्तित्व उनकी ये कविता परिभाषित करती है /
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