नाम है किनके ना जानी
छलके हैं तेरे दिल के प्याले
भाग्य थे किनके ना जानी
वर्षा का मौसम रिमझिम बारिश
पास नदी और प्यासा मै
तट पर प्यासा मै बैठा
नैया किसकी पार हुई ना जानी
रात तूफानी विकल अँधेरा
साथ तेरे था किसी का घेरा
आवाजों में कसक बहुत थी
हंसी में तेरी खनक बहुत थी
किनके संग वो लम्हे बांटे
साया था मै तेरा पर ना जानी
सुबह विहंगम चेहरे पे खुशियाँ औ गम
क्या खोया क्या पाया तुने ना समझा ना जानी
तुझमे दुविधावों का मंजर पाया
थमा हुआ समंदर पाया
आखों में खुशियों का रेला
दिल में मचा बवंडर पाया
आगे बढ तुझे थाम भी लेता
अपनापन और मान भी देता
साया बन तुझे छावं भी देता
अपने ख्वाबों को तेरा नाम भी देता
पर हर पल बदले फितरत तेरी
कब बने प्यार कब नफ़रत तेरी
कैसे मैं सम्मान को देता
कैसे अपने ईमान को देता
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