Monday, 23 August 2010

जख्म भरने है लगा कोई नया तू घाव दे दे

दर्द सहन होने लगा कोई नया अभाव  दे दे
जख्म भरने है लगा कोई नया तू घाव दे दे

सूखे आखों के आंसूं
दिल चिचुक गया प्यास से
सांसे ना उखड़ी अब तलक
तू नयी कोई फाँस दे दे

धड़कन है मध्यम आस भी नम
बोझिल है आहें आभास भी कम  
संभल रहे लड़खड़ाते कदम है
छंट रहे कितने भरम है
अब भावों को नया भूचाल दे दे
तकलीफों को नयी चाल दे दे
 जिंदगानी  को बिखराव  दे दे
राहों को कोई  भटकाव दे दे


दर्द सहन होने लगा कोई नया अभाव दे दे

जख्म भरने है लगा कोई नया तू घाव दे दे

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