Wednesday, 18 August 2010

ऐसा कुछ कह देते इंतज़ार सरल हो जाता

ऐसा कुछ कह देते इंतज़ार सरल हो जाता
तड़प रहे दिल का कुछ दर्द संभल  जाता 
अँधेरे  की  छाहों में भटक रहे जजबात मेरे 
ऐसा कुछ कह देते स्याह सहल हो जाता 


धुप है तरसी प्यासी बारिश 
हवा है बोझिल सहमी कोशिश ,
कहते कुछ ऐसी बातें 
मूर्छित सांसे बहकी बन जाती 

इन्तजार सरल हो जाता 
दिल का दर्द संभल सा जाता
करते मन का अपना तुम ऐसा 
प्यार मेरा अचल  हो जाता 
 

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