सहना जब भी मुश्किल होगा,
दिल का कोई दर्द पुराना .
तो फिर गीतों के शब्दों से,
सहलाऊंगा उसे प्रिये .
इसीलिए तो रचता हूँ,
ताकी बचना संभव हो.
वरना त्रिषिता में तेरी,
ले लेगी तृष्णा प्राण प्रिये .
-----------------अभिलाषा
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..