ONLINE HINDI JOURNAL
Thursday, 4 February 2010
घोर अँधेरी सर्द रात में .\abhilasha
किसी पहाड़ी के मंदिर पे,
घोर अँधेरी सर्द रात में .
दर्द प्रेम का लेकर मन में,
यादों का करता जाप प्रिये .
मेरे इस एकांत वास पे,
नभ के सारे तारे हसते.
लेकिन सारा सन्नाटा,
देता मेरा साथ प्रिये .
1 comment:
vandana gupta
5 February 2010 at 11:01
bahut hi sundar.
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Share Your Views on this..
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
उज़्बेकिस्तान के साहित्यकार
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त
कथाकार अमरकांत : संवेदना और शिल्प कथाकार अमरकांत पर शोध प्रबंध अध्याय - 1 क) अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त ...
bahut hi sundar.
ReplyDelete