Friday, 15 January 2010

जब सांसों का उदभाव वही हो /

कभी तू मुझपे मरती थी तू कहती है ,
कभी तू मुझसे प्यार करती थी तू कहती है ,
कभी विश्वास किया था मुझपे ,
कभी सांसों का भाग किया था मुझको ,
तुने तो मुझे इतिहास बना डाला ,
बारिश के मौसम को अकाल बना डाला ,
बड़े शौक से फूकें शायद मेरी अर्थी को ,
तुने जजबातों को सूखा व्यवहार बना डाला ,
तुने रिश्ते को अवसाद बना डाला ,
मुझको इतिहास बना डाला /

कहते हो वो कोई और वक़्त था ,
वो तो भावों में बहने का दौर था ,
तरुणाई के जज्बों से अब क्या लेना देना ,
वो तो बाँहों में खिलने का ठौर था /

पर वो मेरे सत का प्यार था ,
मेरे सपनों का इज़हार था ,
मेरी धड़कनों की गूंज थी ,
मेरे दिल की हूक थी ,
मेरी सांसों की साँस थी ,
मेरे अरमानो की प्रीती थी /

मै इतिहास नहीं हूँ ,
इंतजार है , तकरार है ,
पर मै भूतकाल नहीं हूँ ,
प्यार चुकता नहीं ।
अंग संग जलाता है ,
समय कोई हो ,
दिल में बसता है /

वक़्त कोई हो ,
प्यार वही हो ,
भावों का सरगम क्यूँ बदलें ,
जब सांसों का उदभाव वही हो /



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