मैं जितना सोचता हूँ,
तुम उससे जादा कुछ हो .
गीत,ग़ज़ल,कविता से भी,
जादा प्यारी तुम कुछ हो .
प्यार,मोहब्बत और सम्मोहन,
इससे बढकर के भी कुछ हो .
रूप,घटा,शहद -चांदनी,
प्यारी इनसे जादा कुछ हो .
जितना मैंने लिख डाला,
उससे जादा ही कुछ हो .
शायद मेरी चाहत से भी,
सपनो से भी जादा कुछ हो .
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