इसतरह तो कुछ, हासिल नहीं होगा
जब मेरे पास,मेरा क़ातिल नहीं होगा ।
डूब कर जाऊँ भी तो, कहाँ जाऊँ
जब जिक्र में, कोई साहिल नहीं होगा ।
जब मेरे पास,मेरा क़ातिल नहीं होगा ।
डूब कर जाऊँ भी तो, कहाँ जाऊँ
जब जिक्र में, कोई साहिल नहीं होगा ।
लास्लो क्रास्नाहोर्काई : 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेता हंगेरियाई लेखक बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जब विश्व साहित्य ने उत्तर-आधुनिक य...
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