कबीर – आ. हजारी प्रसाद द्विवेदी (पूरी किताब)
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डाउनलोड के लिए उपलब्ध. ऐसे कुल में पैदा हुए व्यक्ति के लिये कल्पित ऊंच-नीच भावना और जाति व्यवस्था का फौलादी ढांचा तर्क और बहस की वस्तु नहीं होती, जीवन-मरण का प्रश्न होता है। कबीरदास इसी समाज के रत्न थे।
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