ONLINE HINDI JOURNAL
Sunday, 14 April 2013
मेरे हिस्से में सिर्फ़, इल्ज़ाम रखते हो
मेरे हिस्से में सिर्फ़, इल्ज़ाम रखते हो
किस्सा-ए-मोहबत्त यूं तमाम करते हो
मनीष "मुंतज़िर ''
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