कभी तो चाहत को आवाज दे देते ,
कभी तो सपनों का साथ दे देते ;
प्यार पे बस नहीं सच है मगर ;
कभी तो इरादों को आधार दे देते ;
लबों की लालिमा बडाना है ,
बदन को होठों से सजाना है ;
भींच ले वो मुझे अपने सिने में ,
उनके अहसासों को ऐसे मनाना है /
✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...
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