ONLINE HINDI JOURNAL
Saturday, 5 December 2009
अभिलाषा---१००
कई गुलाबो के दामन से,
लिपट-लिपट कर सोया हूँ .
इसीलिए तो रिश्तेदारी ,
काँटों से भी हुई प्रिये .
अभिलाषा---१००
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