Friday, 11 December 2009

आज फिर न जाने क्यों ?


आज फिर न जाने क्यों ?
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आज फिर न जाने क्यों ,
 वही पुराना यार याद आया है .
 बहुत दूर हु  उससे फिर भी,
 उसे बहुत ही करीब पाया है.
सोचता हूँ यूं भी  की -
आखिर वह मिला ही क्यों था मुझे ?
 तन्हाई
 दर्द
 हताशा
 जुदाई
 और ऐसी ही  बहुत सी सौगात मुझे,
 वह बिन मागे ही दे गया .
जो चाहा था,
 वो तो ना जाने कहा खो गया ?
 मैंने ने तो गुलाबो की खेती चाही थी,
 वो तो मुझे ही नागफनी कर गया.
 आज जब भी कभी ,
 कोई प्यार से बुलाता है,
 मुझे से दिल लगाता है ,
 मुझे अपना बनाना चाहता है,
 तो मुझे फिर वही याद आता है .
 न जाने क्यों ?-----------------क्यों ?              

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