Tuesday, 29 December 2009

पथिक है बैठा राह तके है /

पथिक है बैठा राह तके है ,

हमसाया मिल जाये ,

जो सपनों को सींचे है ,

रुके पगों को क्या हासिल हो ,

जो हमराही मिल जाये ,

चलते रहना नियति हो जिसकी ,

क्यूँ राहों पे रुके है ;

पथिक है बैठा राह तके है ,

बड़ते कदमों संग दुनिया भागे ,

चलता प्रियतम दुनिया मांगे ,

क्यूँ वो इसको भूले है ;

पथिक है बैठा राह तके है ,

मंजिल पहले थमना कैसा ,

धारा संग भी बहना कैसा ,

मंजिल एक पड़ाव है ,

कुछ पल का ठहराव है ,

नयी चुनौती नयी मंजिले ,

नयी सड़क का बुलावा है ,

जो संग चला वो हम साया ,

जो साथ रहा वो ही है यारा ,

पथिक है बैठा राह तके है /

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