Sunday, 20 December 2009

आ इक दूजे के सपने जिए हम /

आहत हूँ क्यूँ व्यवहार पे उनके ,
चाहा था इसी चाल पे उनके ,
मचल उठती थी धड़कने उनकी अदाओं पे ,
क्यूँ चाहता हूँ वो बदले मेरी बातों पे ;

आवारापन मेरी सोचों का जो तुझे भाया था ,
मेरी जिस बेफक्री ने तुझे रिझाया था ,
मेरी ख़ामोशी जो तुझे लुभाती थी ,
क्यूँ मेरी वो आदतें तुझे खिजाती है ;

आ खोजे इक दूजे को हम नयी पनाहों में ,
समझे हालातों संग ढलना नयी फिजाओं में ,
बदले तौर तरीके पर खुद को ना खोये हम ,
आ इक दूजे के सपने जिए हम /

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...