कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,
होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;
वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /
सामने बैठ तुम कॉलेज की बातें किया करती थी ,
मेरी धडकनों के अंदाज बदल जाया करते थे ;
अपनी सहेलियों की शरारतें बता जब इठलाते थे तुम ,
मेरे अहसास नही दुनिया बसाया करते थे ;
तेरी हँसी का एक शमा बना होता था ,
हम तेरे खुबसूरत चेहरे को निहारा करते थे ;
जब कभी आहत होती किसी के बात पे तू ,
तेरी उदासी को तेरे सिने से चुराया करते थे ;
जब तेरा दिल भर आता अपनो के कारण कभी ,
तेरे ग़मों को अपने ह्रदय में छुपाया करते थे ;
हर रोज सुबह नहा के तेरे निकालने का इंतजार हम करते ,
तुझे देख हर रोज नए सपने बनाया करते थे ;
भोर हुए आखं मलते जब तुम सामने मेरे आते ,
कैसे हम एक दूजे की सिने से लगाया करते थे ;
मन्दिर जब भी गए संग तेरे हम,
तेरी खुशियाँ मांग तेरे मांग में सिंदूर भरा करते थे ;
कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,
होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;
वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /
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