मेरे लम्हों की बेकरारी नही जाती ,
आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती ;
जब्त अरमां दिल को बेकरार नही करते ,
भूल जायुं तुझको क्यूँ ऐसी बीमारी नही आती /
है शांत शमा कैसे मै जानू ,
दिल में उलझन चंचल धड़कन ;
मन से खामोशी नही जाती ,
आखें प्यासी हैं क्यूँ नीद नही आती ?
तू गैर की बाँहों में ऐतबार है मुझको ,
तेरी जिंदगी उससे है इकरार है मुझको ;
तू है नही मेरी ये कैसे मै मानू ,
मेरे रग रग से बहते खूं से तेरी खुसबू नही जाती ;
आखें प्यासी है क्यूँ नीद नही आती /
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