विस्तृत आकाश विदित है ;
मन का भावः विदित है ;
अहसास कहाँ कब सीमा जाने ,
दिल का विश्वास विदित है /
झिल-मिल तारों से ,आस करे क्या ?
सागर की लहरों से , प्यास करे क्या ?
रातों के ख्वाबों का मंतव्य समझ लेते ;
जागी आखों के सपने ,करे क्या ?
तू गैर नही है ;
तुझको मुझसे बैर नही है ;
मेरी तन्हाई से क्या रिश्ता तेरा ?
मेरी आगोस में होने का अब दौर नही है /
तेरे वादे क्या सच्चे थे ;
तेरे अहसास सभी कच्चे थे ;
बदन से मिलते बदन की यादें ;
क्या ले के बैठें अब उसको ;
पर वो पल कितने प्यारे औ कितने अच्छे थे/
नई दुनिया तुने बसाई है ;
मेरी यादों की अर्थी सजाई है ;
मेरे होने का अहसास ना हो ;
तुने अपने दिल की कब्र बनाई है /
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..