Sunday, 15 November 2009

अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;

अज्ञात की तलाश है ,
अज्ञान का ही वास है ;
खुदा कहूँ ईश्वर कहूँ आज कल God का रिवाज है ;
धर्म पे है वाद अब भी ,भाषा का विवाद अब भी ;
भूख तो बिखरी पड़ी है ,आस तो उघडी खडी है;
अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;
रोजी पे लड़ते हैं हम छेत्र के नाम पे ,
घर में दुबक जातें हैं कुछ उद्दंडों के काम पे ;
गाँधी को लड़ाते हैं हम, कभी भगत कभी आजाद से ;
कभी आम्बेडकर को बनाते हैं खुदा जाती के नाम से /
अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;
कर्ण है महान क्यूंकि सच का साथ ना दे सका ,
अर्जुन ना चडा जुबान पे क्यूंकि वो बुरा ना हो सका ;
अहंकारी ,असंयमित हम खुद हैं कमियां दूजे की ढूंढ़ रहे ,
जो ना हुआ देश का वो कब किसी का हो सका /
अज्ञात की तलाश है ,अज्ञान का ही वास है ;

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..