१   मेरी बाँहों की चाह तुझे अब भी  होगी यूँ ही  कभी ;
   मैं  भी अपनो की निगाहों में होता था यूँ ही कभी ;
  आज किसी और की आगोश में तुझे सुख मिलाता है ;
  तेरी बाँहों में मैं भी खिलता था यूँ ही कभी /
2 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
     मुझसे वफ़ा ना करते मेरी वफ़ा को क्यूँ सजा दिया तुने /
3   तेरी   बेवफाई से शिकायत कैसी ,
 कभी मैंने भी बेवफाई की होगी ;
 गम तो सिर्फ़ इतना है मेरे सच को छोड़ ;
 तुने झूठों  की सफाई दी होगी /  
4 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
   मुझसे वफ़ा ना करते मेरी वफ़ा को क्यूँ सजा दिया तुने /
 
 
 
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