Monday, 16 November 2009

दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने /

१ मेरी बाँहों की चाह तुझे अब भी होगी यूँ ही कभी ;
मैं भी अपनो की निगाहों में होता था यूँ ही कभी ;
आज किसी और की आगोश में तुझे सुख मिलाता है ;
तेरी बाँहों में मैं भी खिलता था यूँ ही कभी /

2 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
मुझसे वफ़ा ना करते मेरी वफ़ा को क्यूँ सजा दिया तुने /

3 तेरी बेवफाई से शिकायत कैसी ,
कभी मैंने भी बेवफाई की होगी ;
गम तो सिर्फ़ इतना है मेरे सच को छोड़ ;
तुने झूठों की सफाई दी होगी /

4 दिल से निकल पलकों पे सजा लिया तुने ,
मुझसे वफ़ा ना करते मेरी वफ़ा को क्यूँ सजा दिया तुने /

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