Sunday 15 November 2009

छेत्रवाद का उठता चेहरा /

अब केंद्रीय सरकार को गंभीर रूप से सोचना चाहिए की किस तरह से वो छेत्रवाद से निपटे क्यूंकि यह एक भावनात्मक मुद्दा भी है / आज की हालात में सबसे उचित यही है की सरकार मध्य प्रदेश के किसी छेत्र को अपने आधीन करे और उसे केन्द्र शासित राज्य का दर्जा दे और मुंबई के आर्थिक संस्थानों को वहां ले जायें जैसे की सभी बैंको के मुख्य ऑफिस ,वित्त विभाग के आफिस ,रेलवे के ऑफिस और बहुरास्ट्रीय और बड़ी भारतीय कंपनियों को वहां जाने पे आर्थिक सुविधाएँ और टैक्स में रहत दे/ ये इस लिए भी जरूरी है की इससे पूरे देश में इक सही संदेश जायेगा और मनसे जैसी पार्टियों का विरोध लोग कराने लगेंगे क्यूंकि उनके राज्य के विकास पे असर पड़ेगा /मध्य प्रदेश सबसे उचित जगह है क्यूंकि ये पूरे देश के बीच में पड़ता हैं और वहां से किसी भी जगह जाना आसान होगा /
भाषा के नाम पे राजनीतहो रही है जो देश की एकता के लिए खतरा है / हम जहाँ रहते हैं वहां की भाषा हमें आनी चाहिए ये इक दम सही है और इसे हर किसी को अमल में लाने की कोशिश करनी चाहिए पर उसके लिए राजभाषा हिन्दी को विरोध उचित नही है /हिन्दी को हमारे देश को जोड़ने का काम करनी चाहिए तोड़ने का नही / ये बात भी उतनी ही जरूरी है की हम स्थानीय लोंगों को नौकरियों में प्राथमिकता देनी चाहिए पर केंद्रीय नौकरियों में ये बाध्यता नही होनी चाहिए /

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