वक्त का शिकवा कैसा ,हवा को बांधना क्या ;
पानी ले बुलबुलों को थामना क्या ;
ये सब गुजर जाते है,सब बदल जाते हैं ;
कैसे कहोगे की साथ किसका था ;
क्या कहोगे की भाग्य ऐसा था ;
जो गुजर गया उसे बांधना क्या ,
कैसे कहोगे कौन अपना था ?
जिंदगी की हकीकते और सपने सुहाने ;
अपनो की प्रीती और प्यार के अफसाने ;
ये बिखर जाते हैं ;सब बदल जाते हैं /
कैसे कहोगे कौन सपना था ;
क्या कहोगे कौन अपना था ?
Saturday 4 July 2009
Friday 3 July 2009
भले आखों में आंसू हो पर वो मुस्कराती रहे ;
भले आखों में आंसू हो पर वो मुस्कराती रहे ;
सिमटा हो दर्द दिल में पर वो खिलखिलाती रहे /
रक्तिम हो चेहरा बड़े हुए कष्ट से ;
पर हास्य हो मुख पे उस असह्य दर्द पे /
न हो मंजिल का पता , न राहे सुझे,
अँधेरा छाए अपनो के भावों पे ;
ह्रदय मुस्काओं ,ख़ुद को जलावो;
और करो अट्टाहस अपने अभावों पे /
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सिमटा हो दर्द दिल में पर वो खिलखिलाती रहे /
रक्तिम हो चेहरा बड़े हुए कष्ट से ;
पर हास्य हो मुख पे उस असह्य दर्द पे /
न हो मंजिल का पता , न राहे सुझे,
अँधेरा छाए अपनो के भावों पे ;
ह्रदय मुस्काओं ,ख़ुद को जलावो;
और करो अट्टाहस अपने अभावों पे /
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Tuesday 30 June 2009
जब मै ही ना इन्सान हुआ /
बचपन की सीख
ईश्वर का मान करो ;
पढाई पे ध्यान करो /
जवानी की रीती
काम में तल्लीन रहो ;
bhagawaan में मन लीन रखो /
बुढापे की नीती
माया मोह त्याग दो ;
ईश्वर पे ध्यान दो /
कुछ काम ना आई ;
बचपन बीता जवानी बीती ;
बुढापा भी जाने को है ;
न काम हुआ ;
न ध्यान हुआ ;
ईश्वर मिलता भी कैसे ?
जब मै ही ना इन्सान हुआ /
ईश्वर का मान करो ;
पढाई पे ध्यान करो /
जवानी की रीती
काम में तल्लीन रहो ;
bhagawaan में मन लीन रखो /
बुढापे की नीती
माया मोह त्याग दो ;
ईश्वर पे ध्यान दो /
कुछ काम ना आई ;
बचपन बीता जवानी बीती ;
बुढापा भी जाने को है ;
न काम हुआ ;
न ध्यान हुआ ;
ईश्वर मिलता भी कैसे ?
जब मै ही ना इन्सान हुआ /
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