ONLINE HINDI JOURNAL
Friday, 9 July 2010
न की इतनी गैरत की मुलाकात कर लेती ,
न की इतनी गैरत की मुलाकात कर लेती ,
होती अपनो की परवा तो कैसे रात कर लेती ,
बला की कशिश है तुझमे लोग कहते है ,
गैरों से न मिली फुर्सत जों मेरे रंजोगम से आखें चार कर लेती /
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