ONLINE HINDI JOURNAL
Sunday, 25 July 2010
प्यास बुझा के प्यास बड़ाता पानी
जंगल का कोहरा और बरसता पानी
पेड़ के पत्तों से सरकता पानी
पहाड़ों पे रिमझिम बहकता पानी
सूरज को बादलों से ढकता पानी
चाँद तरसता तेरे बदन पे पड़ता पानी
प्यास बुझा के प्यास बड़ाता पानी
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