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चाह के भी न कह सका प्यार मै ,
तेरी आखों ने रोक लिया कैसे करता इजहार मै ;
बाहें मचल रही थी तुझे बाँहों में भरने को ,
तेरी हया को करता कैसे यूँ ही पार मै /
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चाह के भी न कह सका प्यार मै ,
तेरी आखों ने रोक लिया कैसे करता इजहार मै ;
बाहें मचल रही थी तुझे बाँहों में भरने को ,
तेरी हया को करता कैसे यूँ ही पार मै /
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भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता (अध्याय 9, श्लोक 22) में "योग" शब्द के माध्यम से अध्यात्म की परिभाषा दी है। यह श्लोक इस प्रकार है— अनन्य...
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